आवारा बंजारा तुम्हें याद दिलाने को फ़साने तो बहुत | हिंदी कविता Video

"आवारा बंजारा तुम्हें याद दिलाने को फ़साने तो बहुत हैं ताज़ा हैं अभी तक जो पुराने तो बहुत हैं मर्जी है ज़माने की , माने या न माने मानें तो मेरी बातों के माने तो बहुत हैं कहीं टिक के नहीं रहता आवारा बंजारा होने को ज़माने में ठिकाने तो बहुत हैं जो तेरा सहारा है ,तो हैं कितने सहारे यूँ मौत के आने के बहाने तो बहुत हैं ©CHOUDHARY HARDIN KUKNA "

आवारा बंजारा तुम्हें याद दिलाने को फ़साने तो बहुत हैं ताज़ा हैं अभी तक जो पुराने तो बहुत हैं मर्जी है ज़माने की , माने या न माने मानें तो मेरी बातों के माने तो बहुत हैं कहीं टिक के नहीं रहता आवारा बंजारा होने को ज़माने में ठिकाने तो बहुत हैं जो तेरा सहारा है ,तो हैं कितने सहारे यूँ मौत के आने के बहाने तो बहुत हैं ©CHOUDHARY HARDIN KUKNA

"आवारा बंजारा"
#anooppandey

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