दो अश्आर सच कहने की ताक़त भी ना रही ज़माने में। है

"दो अश्आर सच कहने की ताक़त भी ना रही ज़माने में। है वो कितना झूठा है ये भी तो जानता हूं मैं।। खुशामदी के दौर में, उदास है कोई "ज्ञानेश"। दस्तूर ये कैसा आया है, नहीं जानता हूं मैं।। ©Gyaneshwar Anand"

 दो अश्आर
सच कहने की ताक़त भी ना रही ज़माने में।
है वो कितना झूठा है ये भी तो जानता हूं मैं।।

खुशामदी के दौर में, उदास है कोई "ज्ञानेश"।
दस्तूर ये कैसा आया है, नहीं जानता हूं मैं।।

©Gyaneshwar Anand

दो अश्आर सच कहने की ताक़त भी ना रही ज़माने में। है वो कितना झूठा है ये भी तो जानता हूं मैं।। खुशामदी के दौर में, उदास है कोई "ज्ञानेश"। दस्तूर ये कैसा आया है, नहीं जानता हूं मैं।। ©Gyaneshwar Anand

#Darknight

People who shared love close

More like this

Trending Topic