हंसते खेलते रहो" उम्र का क्या है, रोज़ बढ़ती है त | हिंदी विचार V

"हंसते खेलते रहो" उम्र का क्या है, रोज़ बढ़ती है तो बढ़ने दो, लड़ती है रोज़ घर में अगर पत्नी ,तो लड़ने दो। क़ैद करके ना रखो, उम्र के पंछी को बंद पिंजरे में, उसे खुली हवा में कभी-कभी उड़ने दो। जहां मिल जाएं चार यार पुराने, लगा के ठहाके, जवानी के दिनों की गप्पे पेलते रहो। उड़ा के धुएं में, ज़िन्दगी की परेशानियां और गम,तुम सदा बच्चों की तरह ,"हंसते खेलते रहो"। ©Anuj Ray "

हंसते खेलते रहो" उम्र का क्या है, रोज़ बढ़ती है तो बढ़ने दो, लड़ती है रोज़ घर में अगर पत्नी ,तो लड़ने दो। क़ैद करके ना रखो, उम्र के पंछी को बंद पिंजरे में, उसे खुली हवा में कभी-कभी उड़ने दो। जहां मिल जाएं चार यार पुराने, लगा के ठहाके, जवानी के दिनों की गप्पे पेलते रहो। उड़ा के धुएं में, ज़िन्दगी की परेशानियां और गम,तुम सदा बच्चों की तरह ,"हंसते खेलते रहो"। ©Anuj Ray

# हंसते खेलते रहो"

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