पलकें खुली तो यूं लगा बाकी कोई ख्वाइश कहां? दीदार | हिंदी शायरी

"पलकें खुली तो यूं लगा बाकी कोई ख्वाइश कहां? दीदार रब्ब का हो गया इस एक पल के दरम्यां ।। ©Ravi Ranjan Kumar Kausik"

 पलकें खुली तो यूं लगा बाकी कोई ख्वाइश कहां? दीदार रब्ब का हो गया इस एक पल के दरम्यां ।।

©Ravi Ranjan Kumar Kausik

पलकें खुली तो यूं लगा बाकी कोई ख्वाइश कहां? दीदार रब्ब का हो गया इस एक पल के दरम्यां ।। ©Ravi Ranjan Kumar Kausik

#Tulips दीदार

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