White मुझे समंदर नहीं, दरिया नही बनना,
एक खारा, दूसरा ठहरा हुआ नही बन ना,
इश्क की बैचैनी, वो तड़प.. कि नदी का,
समंदर बन जाना..
अज़ीब है समर्पण का मिलन, मीठी होकर भी ,
नमकीन बन जाना,
सुना है स्त्री मोहब्बत बेशुमार करती है,
मंजूर है मुझे,
अथाह होने से ज्यादा नदी बन जाना ..!!!
©P.M.Jhingonia
#Izhaar–e–mohabbat @Rakesh Srivastava