उसे किसी की मोहब्बत का ऐतिबार नहीं, उसे जमाने ने श | हिंदी कविता

"उसे किसी की मोहब्बत का ऐतिबार नहीं, उसे जमाने ने शायद बहुत सताया है । वो रहती है अब हमसे भी बहुत खफ़ा, मगर आज तक उसने हमारा कसूर न बताया है।। ©Kumar Vivek"

 उसे किसी की मोहब्बत का ऐतिबार नहीं,
उसे जमाने ने शायद बहुत सताया है ।
वो रहती है अब हमसे भी बहुत खफ़ा,
मगर आज तक उसने हमारा कसूर न बताया है।।

©Kumar Vivek

उसे किसी की मोहब्बत का ऐतिबार नहीं, उसे जमाने ने शायद बहुत सताया है । वो रहती है अब हमसे भी बहुत खफ़ा, मगर आज तक उसने हमारा कसूर न बताया है।। ©Kumar Vivek

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