लिखे थे कुछ-एक शेर तेरी बेवफाई पर पन्ने मैले हो गए | हिंदी Shayari

"लिखे थे कुछ-एक शेर तेरी बेवफाई पर पन्ने मैले हो गए मेरी उस किताब के, जुदाई के गम में भूल गया मैं उन्हें जो मेरे खुद के भी कुछ ख्वाब थे, तूने छोड़ा मुझे मैं तुझ पर लिखना छोड़ रहा हूं मुझे ये तमाशा अब और सरेआम नहीं करना, तेरी तारीफ़ में जो कभी नज़्में लिखा करती थी मुझे उसी कलम से तुझे बदनाम नहीं करना।। ©Er Abhishek Sharma"

 लिखे थे कुछ-एक शेर तेरी बेवफाई पर
पन्ने मैले हो गए मेरी उस किताब के,

जुदाई के गम में भूल गया मैं उन्हें
 जो मेरे खुद के भी कुछ ख्वाब थे,

तूने छोड़ा मुझे मैं तुझ पर लिखना छोड़ रहा हूं
मुझे ये तमाशा अब और सरेआम नहीं करना,

तेरी तारीफ़ में जो कभी नज़्में लिखा करती थी
मुझे उसी कलम से तुझे बदनाम नहीं करना।।

©Er Abhishek Sharma

लिखे थे कुछ-एक शेर तेरी बेवफाई पर पन्ने मैले हो गए मेरी उस किताब के, जुदाई के गम में भूल गया मैं उन्हें जो मेरे खुद के भी कुछ ख्वाब थे, तूने छोड़ा मुझे मैं तुझ पर लिखना छोड़ रहा हूं मुझे ये तमाशा अब और सरेआम नहीं करना, तेरी तारीफ़ में जो कभी नज़्में लिखा करती थी मुझे उसी कलम से तुझे बदनाम नहीं करना।। ©Er Abhishek Sharma

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