जिंदगी की सुब्ह-ओ-शाम बनाने मे।
सब लगे है अपना नाम बनाने मे।
कोई यहा तो कोई वहा है कामगर
एक तुम हो जो लगे हो ज़ाम बनाने मे।
कोई पूछता नहीं है किसी को एक वक्त के बाद
और तुम उलझे ही रहते हो सबका काम बनाने मे।
कर लो मनमर्जी जब तक माँ बाप है
नहीं तो निकल जाएगी जिंदगी बस खाने कमाने मे।
©Alok sonkar
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