किस्से सुनाऊंगी कभी तुम्हें अपने भी,
तुम वादा करो तुम सुनोगे इत्मीनान से कभी,
कहूंगी बचपन से जवानी तक के किस्से,
तुम बस कहो की सुनाओ तो कभी..
हर बात खुली किताब सी सामने होगी,
तुम पढ़ोगे ये जिज्ञासा दिखाओ तो कभी..
किस्से मशहूर हो जाएं तेरी मेरी मुहब्बत के,
सुनो, कभी मुझे कुछ ऐसे ही.... प्यार करो तो कभी...
©Lata Sharma सखी
#किस्से