सुबह की चाय की चुस्की"
एक तुम्हारी चाह जैसे,
सुबह की चाय की चुस्की
बना देती है दिन मेरा,
किरण हो जैसे सूरज की।
बिना मांगे ही मिल जाते ,
अनमोल सागर के खिले मोती
काश ! छू करके तुम्हें ,महसूस
कर पाता, असल की ज़िन्दगी होती।
©Anuj Ray
सुबह की चाय की चुस्की"