मन में क्रांति की ज्वाला थी,दिल में हिंदुस्तान समा

"मन में क्रांति की ज्वाला थी,दिल में हिंदुस्तान समाया था... लबों पे "इंकलाब" और आँखों में "आजादी" का ख्वाब सजाया था...!! माँ भारती के लाडलों ने जंग में खूब कोहराम मचाया था... देख वीरों के बुलंद हौसले आसमाँ भी थर्राया था...!! ना डरे कभी ना झुके कभी,अपनी ताकत का लोहा मनवाया था... वतन की खातिर हँसते - हँसते मौत को गले लगाया था...!! ©Ashish Mishra"

 मन में क्रांति की ज्वाला थी,दिल में हिंदुस्तान समाया था...

लबों पे "इंकलाब" और आँखों में "आजादी" का ख्वाब सजाया था...!!

माँ भारती के लाडलों ने जंग में खूब कोहराम मचाया था...

देख वीरों के बुलंद हौसले आसमाँ भी थर्राया था...!!

ना डरे कभी ना झुके कभी,अपनी ताकत का लोहा मनवाया था...

वतन की खातिर हँसते - हँसते मौत को गले लगाया था...!!

©Ashish Mishra

मन में क्रांति की ज्वाला थी,दिल में हिंदुस्तान समाया था... लबों पे "इंकलाब" और आँखों में "आजादी" का ख्वाब सजाया था...!! माँ भारती के लाडलों ने जंग में खूब कोहराम मचाया था... देख वीरों के बुलंद हौसले आसमाँ भी थर्राया था...!! ना डरे कभी ना झुके कभी,अपनी ताकत का लोहा मनवाया था... वतन की खातिर हँसते - हँसते मौत को गले लगाया था...!! ©Ashish Mishra

#shaheeddiwas

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