देखा जाए तो माँ को मनाने के लिए कोई खास तारीख तय न | हिंदी Poetry

"देखा जाए तो माँ को मनाने के लिए कोई खास तारीख तय नही होती क्योंकी MAA मेरी घर की अन्नपूर्णा,माँ मेरी घर की लझ्मी माँ मेरी घर की अंगना की खुबसुरत सी रंगोली फीकी पडी जिंदगी में माँ मेरी रंगो की होली अंधेरी जैसी इस दुनिया में माँ मेरी ठंडी छाया काँटों भरी राहों में माँ मेरी फुलों की बगिया वीरान पडी जिंदगी में माँ मेरी खुशी की दरिया ...@नंdini ©durgesh nandini"

 देखा जाए तो माँ को मनाने के लिए कोई खास तारीख तय नही होती 
क्योंकी 
MAA मेरी घर की अन्नपूर्णा,माँ मेरी घर की लझ्मी
माँ मेरी घर की अंगना की खुबसुरत सी रंगोली
फीकी पडी जिंदगी में माँ मेरी रंगो की होली
                                                                                      अंधेरी जैसी इस दुनिया में माँ मेरी ठंडी छाया
                                                                                       काँटों भरी राहों में माँ मेरी फुलों की बगिया
                                                                                      वीरान पडी जिंदगी में माँ मेरी खुशी की दरिया
...@नंdini

©durgesh nandini

देखा जाए तो माँ को मनाने के लिए कोई खास तारीख तय नही होती क्योंकी MAA मेरी घर की अन्नपूर्णा,माँ मेरी घर की लझ्मी माँ मेरी घर की अंगना की खुबसुरत सी रंगोली फीकी पडी जिंदगी में माँ मेरी रंगो की होली अंधेरी जैसी इस दुनिया में माँ मेरी ठंडी छाया काँटों भरी राहों में माँ मेरी फुलों की बगिया वीरान पडी जिंदगी में माँ मेरी खुशी की दरिया ...@नंdini ©durgesh nandini

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