"अनिमेष दृगों से देख रहा
हूँ आज तुम्हारी राह प्रिये
है विकल साधना उमड़ पड़ी
होंठों पर बन कर चाह प्रिये
"यौवन की इस मधुशाला में
है प्यासों का ही स्थान प्रिये
फिर किसका भय? उन्मत्त बनो
है प्यास यहाँ वरदान प्रिये"¹
©HintsOfHeart.
#भगवतीचरण_वर्मा #good_night 💖
1.भगवतीचरण वर्मा की कविता 'तुम अपनी हो, जग अपना है' का एक अंश।