पहला चेहरा सबको मां का दिखा हैं।
तो सबने मां के लिए लिखा है।
पर जो हमेशा छुपा रहता है
पढों उसे बाप का चेहरा भी बहुत कुछ कहता हैं।
दिन रात पाईं पाई बचाता है।
तुम्हें कुछ अच्छा खिलाने की खुशी मे कितनी बार अपना रुखा भी भुल जाता है।
तुम्हारी परवरिश का डर सताता है।
जो कभी ना झुका वो पूरी जिदंगी मजदूर बनकर कमाता है।
अपनी जिंदगी बेच तुम्हारी खुशी खरीद कर लाता हैं।।
कई बार रुकना तो चाहता है पर तुम्हारी सोच मुडकर भी नहीं देख पाता है।
मां तो जता देतीं है अपना प्यार वो बाप ही है जो तुम्हारी कामयाबी देख मंद मंद मुस्कुराता है।
बिना कुछ कहे उसकी कितनी रातें बित जाती है।
किसी से कुछ कह तक नहीं पाता उसकी बारी कहा आती हैं।
वक्त मिले तो पढना जरूर
एक बाप की बेबस आखें बहुत कुछ बताती हैं।
©anjali sardhana
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