काँधे पर उठाए फिर रहे थे जो मेहनत का, किसी लालची क

"काँधे पर उठाए फिर रहे थे जो मेहनत का, किसी लालची के दरबार मे वो सामान गिर गया है। कभी माहिमा खाण्डववन की, कभी गुणगान इन्द्रप्रस्त का... मुदात लगा कर बनाया था बुजुर्गो ने जो वो नाम गिर गया है। और बस के टिकट का मजदूरों से 8000? सच में दिल्ली तेरा ईमान गिर गया है।। _प्रशांत कुमार तिवारी"

 काँधे पर उठाए फिर रहे थे जो मेहनत का,
किसी लालची के दरबार मे वो सामान गिर गया है।
कभी माहिमा खाण्डववन की, कभी गुणगान इन्द्रप्रस्त का...
मुदात लगा कर बनाया था बुजुर्गो ने जो
 वो नाम गिर गया है।
और बस के टिकट का मजदूरों से 8000?
सच में दिल्ली तेरा ईमान गिर गया है।।
                     _प्रशांत कुमार तिवारी

काँधे पर उठाए फिर रहे थे जो मेहनत का, किसी लालची के दरबार मे वो सामान गिर गया है। कभी माहिमा खाण्डववन की, कभी गुणगान इन्द्रप्रस्त का... मुदात लगा कर बनाया था बुजुर्गो ने जो वो नाम गिर गया है। और बस के टिकट का मजदूरों से 8000? सच में दिल्ली तेरा ईमान गिर गया है।। _प्रशांत कुमार तिवारी

#commonman #हाय #दिल्ली #lockdown #बेईमानी

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