कभी किया नही ज़िक्र और
आज देरी हो गई कैसे कहूं भला
जब उन्हें मेरी परवा ही नही
माना नादान था दिल मेरा
जो चाहने लगा था उन्हें कहीं
पर उन्होंने कभी मुझे चाहा ही नहीं
कैसे कहूं भला मैं अब उन्हें की
इज़हार आज भी था उनका मुझे
पर उन्होंने कभी इस दिल को
समझा ही नहीं ना चाह था
कभी मुझे
©Babita Singh
उसका साथ ना मिला हाथ मिला
वह दूर इतना फिर ना आया लौट के ✍️✨🫂