अरे यह क्या साहब मौका ए वारदात हो गई वह मेरा हाथ प | हिंदी Poetry

"अरे यह क्या साहब मौका ए वारदात हो गई वह मेरा हाथ पकड़ कर कुछ कदम ही चल पाई वैसे ही बिन बादल बरसात हो गई मैं उसकी गोद में सर रखकर सोना चाहता था अब क्या किया जाए यार जब वो मेरे कांधे पर सर रखकर सो गई ©prayag raj"

 अरे यह क्या साहब मौका ए वारदात हो गई
वह मेरा हाथ पकड़ कर कुछ कदम ही चल पाई
वैसे ही बिन बादल बरसात हो गई
मैं उसकी गोद में  सर रखकर सोना चाहता था
अब क्या किया जाए यार  जब वो मेरे कांधे पर सर रखकर सो गई

©prayag raj

अरे यह क्या साहब मौका ए वारदात हो गई वह मेरा हाथ पकड़ कर कुछ कदम ही चल पाई वैसे ही बिन बादल बरसात हो गई मैं उसकी गोद में सर रखकर सोना चाहता था अब क्या किया जाए यार जब वो मेरे कांधे पर सर रखकर सो गई ©prayag raj

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