जरा बैठ कर सुस्ताने को ठांव नहीं मिलते हैं कंक्रीट | हिंदी शायरी

"जरा बैठ कर सुस्ताने को ठांव नहीं मिलते हैं कंक्रीटों के जंगल में छांव नहीं मिलते हैं सभी हैं अपने सब पर हक है, शहरों में इस अपनापन वाले,गांव नहीं मिलते हैं ©रौशन कुमार प्रिय"

 जरा बैठ कर सुस्ताने को ठांव नहीं मिलते हैं
कंक्रीटों के जंगल में छांव नहीं मिलते हैं 

सभी हैं अपने सब पर हक है,
शहरों में इस अपनापन वाले,गांव नहीं मिलते हैं

©रौशन कुमार प्रिय

जरा बैठ कर सुस्ताने को ठांव नहीं मिलते हैं कंक्रीटों के जंगल में छांव नहीं मिलते हैं सभी हैं अपने सब पर हक है, शहरों में इस अपनापन वाले,गांव नहीं मिलते हैं ©रौशन कुमार प्रिय

शहरों में.... @Tushar Kaul @Ajay Kumar @Ambika Jha @sahil Dubey @Shivam Dwivedi @pinky masrani

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