कितना कुछ था.....
जो अनकहा रह गया
बहुत सी बातें थी,
बहुत सी मुलाकातें भी हुई
हमारे दरम्यां ....
बहुत कुछ कहा था....
बहुत कुछ सुना था...
फिर भी कितना कुछ अधूरा रह गया.....
यूँ तो मुझे इंतज़ार की आदत नहीं थी
और अब इंतज़ार मेरी आदत में बेशुमार है
मौसम बदला समय भी बदला
पर वक्त की कैद में
कैद हुए वो लम्हे....
फिर कभी आये ही नहीं ।
©meri_diary(R*)
कितना कुछ था.....
जो अनकहा रह गया
बहुत सी बातें थी,
बहुत सी मुलाकातें भी हुई
हमारे दरम्यां ....
बहुत कुछ कहा था....
बहुत कुछ सुना था...