मुशकुराने का जरा सा सलीखा रखो,
गमों से तुम्हो क्या मिलेगा,
तुम तो खुद को भी नहीं चाहती कोई गैर तुम्हें क्या मिलेगा,
दिलो़ं के बीच बडे फासलें हैं,
अब तू गले से भी लगा तो मुझे क्या मिलेगा।
मजिलें तो वो थीं जो छूट गईं,
अब सिर्फ रस्तों पर चलें तो भला क्या मिलेगा...
be cont....
Hans
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