वो मस्त मलंग अवधूत अविनाशी है,
पर्वतों में डेरा उसका वो कैलाश निवासी है,
उसका ना कोई आरम्भ ना अन्त है,
वो मायाओं का रचने वाला फैला अनंत है,
उसकी भक्ति से मिल जाता है सच्चा सुःख,
वो कर दे कृपा ग़र मिट जाते हैं सारें दुःख।।
©Varun Raj Dhalotra
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