तस्वीर है हाथों में , मुखड़ा है दर्पण में । जज़्बा | हिंदी शायरी

"तस्वीर है हाथों में , मुखड़ा है दर्पण में । जज़्बात की है आंधी तेरे अंतर्मन में। इन्कार करूं कैसे , इजहार पे पहरे हैं ,नादान मोहब्बत की हर बात है उलझन में ।। ©Ravi Ranjan Kumar Kausik"

 तस्वीर है हाथों में , मुखड़ा है दर्पण में । जज़्बात की है आंधी तेरे अंतर्मन में। इन्कार करूं कैसे , इजहार पे पहरे हैं ,नादान मोहब्बत की हर बात है उलझन में ।।

©Ravi Ranjan Kumar Kausik

तस्वीर है हाथों में , मुखड़ा है दर्पण में । जज़्बात की है आंधी तेरे अंतर्मन में। इन्कार करूं कैसे , इजहार पे पहरे हैं ,नादान मोहब्बत की हर बात है उलझन में ।। ©Ravi Ranjan Kumar Kausik

#aaina और मुखड़ाPФФJД ЦDΞSHI @Kshitija Pushkar @Ishika @narendra bhakuni

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