सूनी हुई गोद इंसान के हाथों इंसानियत की नन्हीं सी | हिंदी Poetry
"सूनी हुई गोद
इंसान के हाथों इंसानियत की
नन्हीं सी परी
शिकार बनीं हैवानियत की
लाल हुई धरा
फिर किसी मासूम के रक्त से
नन्हीं सी परी
खूब लड़ी उस बदनसीब वक्त से"
सूनी हुई गोद
इंसान के हाथों इंसानियत की
नन्हीं सी परी
शिकार बनीं हैवानियत की
लाल हुई धरा
फिर किसी मासूम के रक्त से
नन्हीं सी परी
खूब लड़ी उस बदनसीब वक्त से