3 दिन में मुझे सैकड़ो कॉल आये, लोग मिठाई लेकर मिलना चाहते थे, मैंने सबसे यही कहा कि घर के पास जो मंदिर हो वहां उसको चढ़ा के गली मोहल्ले में बच्चो में बांट दो। दीपावली पे आने वाले हजारो मिठाई के डिब्बे कहीं और चले जाते है फिर वहां से भी कही और चले जाते है इस अदला बदली में मिठाई बंटती रहती है सप्ताह भर, खाई नही जाती। वैसे भी ये भोग तो भगवान और भगवान रूपी बच्चो का ही है। हजारो डिब्बो में मैने सिर्फ 1 डिब्बा स्वीकार किया उसको भी सिद्धिविनायक के कदमो में रखकर #जय_श्री_राम कहकर लौट आया बाकी हजारों डिब्बे उन बच्चो में गए जो दीपावली पे ललचाई निगाहों से मिठाई के दुकान के काउंटर को देखते रहते है।
*नेता नहीं बेटा*
युवाओं का साथी बुजुर्गों की लाठी
*सुरविन्द्र किसान( राष्ट्रीय अध्यक्ष)*
विश्व किसान एकता संघ
©Survinder kisan
#Happiness