देवकी के जने, यशोदा के लाल रक्त जिसमे क्षत्रिय का, | हिंदी कविता Video

"देवकी के जने, यशोदा के लाल रक्त जिसमे क्षत्रिय का, मन से ग्वाल बड़ा नटखट मेरा है नंदलाल रे गोपियों को छेड़ता संग सभी ग्वाल रे माखन चुराए कभी , फोड़े कभी गागर कभी करे कालिया मर्दन मध्य सागर उसकी लीलाएं अपरम्पार रे बड़ा नटखट मेरा है नंदलाल रे। पूतना को मारा , कालिया को तारा कंस का वध कर के मथुरा उद्धारा मित्र की मूक विवशता को पढ़ लिया दुख सारे मिटा ,यश वैभव गढ़ दिया अर्जुन को ज्ञान देकर धर्म समझाया तब जाके धर्म ने अधर्म को हराया सारथी भले ही था पर था सबसे बड़ा लड़ैया बड़ा कलाकार है रे मेरा कन्हैया। प्रेम को धन्य किया तुमने राधिका के संग बताया आत्म मिलन प्रेम है , नहीं मिलना अंग वात्सल्य , श्रृंगार ,रौद्र , वीर आदि भाव तुम हो भवसागर को पार करने वाले प्रभु नाव तुम हो तुम ही भंवर हो प्रभु तुम ही खेवैया पर लगा दो जग को ,मेरे कन्हैया। ©Ujjwal Gupta "

देवकी के जने, यशोदा के लाल रक्त जिसमे क्षत्रिय का, मन से ग्वाल बड़ा नटखट मेरा है नंदलाल रे गोपियों को छेड़ता संग सभी ग्वाल रे माखन चुराए कभी , फोड़े कभी गागर कभी करे कालिया मर्दन मध्य सागर उसकी लीलाएं अपरम्पार रे बड़ा नटखट मेरा है नंदलाल रे। पूतना को मारा , कालिया को तारा कंस का वध कर के मथुरा उद्धारा मित्र की मूक विवशता को पढ़ लिया दुख सारे मिटा ,यश वैभव गढ़ दिया अर्जुन को ज्ञान देकर धर्म समझाया तब जाके धर्म ने अधर्म को हराया सारथी भले ही था पर था सबसे बड़ा लड़ैया बड़ा कलाकार है रे मेरा कन्हैया। प्रेम को धन्य किया तुमने राधिका के संग बताया आत्म मिलन प्रेम है , नहीं मिलना अंग वात्सल्य , श्रृंगार ,रौद्र , वीर आदि भाव तुम हो भवसागर को पार करने वाले प्रभु नाव तुम हो तुम ही भंवर हो प्रभु तुम ही खेवैया पर लगा दो जग को ,मेरे कन्हैया। ©Ujjwal Gupta

#जयश्रीकृष्णा

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