धुँधला नज़र आने लगा,
ये दिल तुम्हें चाहने लगा..!
आईने में मुस्कुराने वाला,
ख़ुद से नज़रें चुराने लगा..!
इश्क़ में खो कर वज़ूद अपना,
तुम्हें ख़ुद का बताने लगा..!
एहसासों को अल्फ़ाज़ों में पिरो,
अंदाज़-ए-इश्क़ जताने लगा..!
मोहब्बत के मायाजाल में,
स्वयं को उलझाने लगा..!
ख़्वाहिशों को दफ़्न कर सीने में,
चिता अरमानों की सुलगाने लगा..!
©SHIVA KANT(Shayar)
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