जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ, | हिंदी शायरी

"जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ, मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ, घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो, मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ। ©Shivam Singh Rajput"

 जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ,

मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ,

घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो,

मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ।

©Shivam Singh Rajput

जिसके भय से मृत्यु भी रण छोड़े ऐसा वो शूरवीर हुआ, मां जयवंता की गोद में एकलिंग का लिखा तकदीर हुआ, घास की रोटी और तानसेन के स्वर जिसके स्वाभिमान के गवाही हो, मुगलों के दौर में आजादी का ख्वाब लिए मेवाड़ी एक रणवीर हुआ। ©Shivam Singh Rajput

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महाराणा प्रताप की जयंती पर खास पेशकश।

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