परेशानियों के राहों को छोड़कर चलो आशा की सागर में | हिंदी शायरी

"परेशानियों के राहों को छोड़कर चलो आशा की सागर में तैरते हैं। मिटाकर सारे गीले और सिकबे चालो एक नई शुरुआत करते है। ©papu parida"

 परेशानियों के राहों को छोड़कर
चलो आशा की सागर में तैरते हैं।
मिटाकर सारे गीले और सिकबे चालो एक नई शुरुआत करते है।

©papu parida

परेशानियों के राहों को छोड़कर चलो आशा की सागर में तैरते हैं। मिटाकर सारे गीले और सिकबे चालो एक नई शुरुआत करते है। ©papu parida

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