महफ़िलों मे हंस रहे थे और रात मे रो रहे थे हम | हिंदी विचार

"महफ़िलों मे हंस रहे थे और रात मे रो रहे थे हम , सबको जोड़ कर खुद टूट रहें थे हम , ना समझाया हमने अपना दर्द किसी को क्योंकि एक एक करके दर्द को झेलना सीख रहे थे हम ©Anuradha Pandey"

 महफ़िलों  मे हंस  रहे  थे  और  रात मे रो रहे  थे हम , सबको  जोड़ कर  खुद  टूट रहें  थे  हम , ना समझाया  हमने  अपना दर्द किसी को क्योंकि एक एक करके  दर्द को झेलना  सीख  रहे  थे  हम

©Anuradha Pandey

महफ़िलों मे हंस रहे थे और रात मे रो रहे थे हम , सबको जोड़ कर खुद टूट रहें थे हम , ना समझाया हमने अपना दर्द किसी को क्योंकि एक एक करके दर्द को झेलना सीख रहे थे हम ©Anuradha Pandey

दर्द के किस्से

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