जीवन धारा इस तन की
लाखों उम्मीदें इस मन की
कहीं कभी कुछ पाने की
चाहत,कही दबी कोई दिल
की हसरत
सिर पर सवार भूत अरमानों
का, जैसे भंवर कोई तूफानों
का, पूरा करने की जिद्द में
खो गया सुख इंसानों का
उलझा हर जीवन इसमें
डूबा है हर मन इसमें,उम्मीदों
ने ऐसा गुल खिलाया, हंसता
चेहरा भी मुरझाया
लाख जतन कर फिर भी
न पाया हसरतों में जीवन
खपाया, जब बचा वक्त
आखिरी, फिर याद ये
जीवन आया
जीवन धारा इस तन की
लाखों उम्मीदें इस मन की
©पथिक..
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