चल रहा आजकल, ये कैसा कारोबार यहाँ। आदमी है शिकारी, | हिंदी शायरी

"चल रहा आजकल, ये कैसा कारोबार यहाँ। आदमी है शिकारी,आदमी ही शिकार यहाँ। वक्त के आईने में ,दिखेंगे चेहरे साफ सुथरे, कौन है सच्चा 'केशव',कौन अदाकार यहाँ। ©keshav"

 चल रहा आजकल, ये कैसा कारोबार यहाँ।
आदमी है शिकारी,आदमी ही शिकार यहाँ।
वक्त के आईने में ,दिखेंगे चेहरे साफ सुथरे,
कौन है सच्चा 'केशव',कौन अदाकार यहाँ।

©keshav

चल रहा आजकल, ये कैसा कारोबार यहाँ। आदमी है शिकारी,आदमी ही शिकार यहाँ। वक्त के आईने में ,दिखेंगे चेहरे साफ सुथरे, कौन है सच्चा 'केशव',कौन अदाकार यहाँ। ©keshav

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