ये दुनिया बहुत चालाक है प्रभु और मैं थोड़ी भोलि ह | हिंदी Poetry

"ये दुनिया बहुत चालाक है प्रभु और मैं थोड़ी भोलि हूं ।। मैं अच्छा बुरा थोड़ा जानति हूं।। बस इस दुनिया का झुठा प्यार जानति हूं ।। झुठा ही सही उसे अपनाना चाहती हुं।। मिठास के लिए थोड़ी आजादी चाहती हुं।। बस इस दुनिया में सबसे घुलकर और खुलकर जीना ‌चाहती हुं।। ©Varsha"

 ये दुनिया बहुत चालाक है प्रभु 
और मैं थोड़ी भोलि हूं ।।
मैं अच्छा बुरा थोड़ा जानति हूं।।
बस इस दुनिया का झुठा प्यार जानति हूं ।।
झुठा ही सही उसे अपनाना चाहती हुं।।
मिठास के लिए थोड़ी आजादी चाहती हुं।।
बस इस दुनिया में सबसे घुलकर और खुलकर जीना ‌चाहती हुं।।

©Varsha

ये दुनिया बहुत चालाक है प्रभु और मैं थोड़ी भोलि हूं ।। मैं अच्छा बुरा थोड़ा जानति हूं।। बस इस दुनिया का झुठा प्यार जानति हूं ।। झुठा ही सही उसे अपनाना चाहती हुं।। मिठास के लिए थोड़ी आजादी चाहती हुं।। बस इस दुनिया में सबसे घुलकर और खुलकर जीना ‌चाहती हुं।। ©Varsha

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