मर्यादा पूजित हो जिससे वो नारी स्वरूप अनमोल है फिर | हिंदी विचार

"मर्यादा पूजित हो जिससे वो नारी स्वरूप अनमोल है फिर कौन कहता है,नारी को वो बस जिस्मों का मोल है जना है जिसने इंसा को वो तन मजबूत इस धरा सा नहीं है कोई जग में ऐसा जिसमें हो ये गुण जरा सा वो रूपवती,वो गुणवती वो सच्चा सोना खरा सा, वो दया मूर्ति, गृह लक्ष्मी अभिमान नहीं जरा सा ©पथिक.."

 मर्यादा पूजित हो जिससे
वो नारी स्वरूप अनमोल है
फिर कौन कहता है,नारी को 
वो बस जिस्मों का मोल है 

जना है जिसने इंसा को वो 
तन मजबूत इस धरा सा
नहीं है कोई जग में ऐसा
जिसमें हो ये गुण जरा सा

वो रूपवती,वो गुणवती वो
सच्चा सोना खरा सा,
वो दया मूर्ति, गृह लक्ष्मी
अभिमान नहीं जरा सा

©पथिक..

मर्यादा पूजित हो जिससे वो नारी स्वरूप अनमोल है फिर कौन कहता है,नारी को वो बस जिस्मों का मोल है जना है जिसने इंसा को वो तन मजबूत इस धरा सा नहीं है कोई जग में ऐसा जिसमें हो ये गुण जरा सा वो रूपवती,वो गुणवती वो सच्चा सोना खरा सा, वो दया मूर्ति, गृह लक्ष्मी अभिमान नहीं जरा सा ©पथिक..

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