इस विरान खंडहर -से- दिल के चार दिवारी में, तेरी एक | हिंदी कविता

"इस विरान खंडहर -से- दिल के चार दिवारी में, तेरी एक टूटी तस्वीर सजाएं रखा हूं । जानता हूं अब हमारा मिलना है मुमकिन नहीं, मगर फिर भी तुम्हारे आने की आस लगाएं रखा हूं‌।। ©Kumar Vivek"

 इस विरान खंडहर -से- दिल के चार दिवारी में,
तेरी एक टूटी तस्वीर सजाएं रखा हूं ।
जानता हूं अब हमारा मिलना है मुमकिन नहीं,
मगर फिर भी तुम्हारे आने की आस लगाएं रखा हूं‌।।

©Kumar Vivek

इस विरान खंडहर -से- दिल के चार दिवारी में, तेरी एक टूटी तस्वीर सजाएं रखा हूं । जानता हूं अब हमारा मिलना है मुमकिन नहीं, मगर फिर भी तुम्हारे आने की आस लगाएं रखा हूं‌।। ©Kumar Vivek

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