मम्मा वो अंकल गंदे हैं। चॉकलेट के बहाने मुझको, अपन | हिंदी शायरी

"मम्मा वो अंकल गंदे हैं। चॉकलेट के बहाने मुझको, अपने पास बुलाते। कभी इधर तो कभी उधर, वो मुझको हांथ लगाते। उनके स्पर्श में मम्मी, तुम सा संस्कार नहीं है । बाहर से सीधे दिखते,अंदर से बुरे परिंदे हैं । मम्मा वो अंकल गंदे हैं । गुड़िया देकर कभी मुझे, वो मेरा हाथ पकड़ते । लाड प्यार का बहाना लेकर, माथे पर पप्पी करते । उनकी पप्पी में मम्मा, पापा सा प्यार नहीं है । पापा के वो दोस्त हैं, लेकिन लगते मुझे दरिंदे हैं। मम्मा वो अंकल गंदे हैं । akanksha gupta"

 मम्मा वो अंकल गंदे हैं।
चॉकलेट के बहाने मुझको, अपने पास बुलाते।
कभी इधर तो कभी उधर, वो मुझको हांथ लगाते।
उनके स्पर्श में मम्मी, तुम सा संस्कार नहीं है ।
बाहर से सीधे दिखते,अंदर से बुरे परिंदे हैं ।
मम्मा वो अंकल गंदे हैं ।

गुड़िया देकर कभी मुझे, वो मेरा हाथ पकड़ते ।
लाड प्यार का बहाना लेकर, माथे पर पप्पी करते ।
उनकी पप्पी में मम्मा, पापा सा प्यार नहीं है ।
पापा के वो दोस्त हैं, लेकिन लगते मुझे दरिंदे हैं।
मम्मा वो अंकल गंदे हैं ।


 
akanksha gupta

मम्मा वो अंकल गंदे हैं। चॉकलेट के बहाने मुझको, अपने पास बुलाते। कभी इधर तो कभी उधर, वो मुझको हांथ लगाते। उनके स्पर्श में मम्मी, तुम सा संस्कार नहीं है । बाहर से सीधे दिखते,अंदर से बुरे परिंदे हैं । मम्मा वो अंकल गंदे हैं । गुड़िया देकर कभी मुझे, वो मेरा हाथ पकड़ते । लाड प्यार का बहाना लेकर, माथे पर पप्पी करते । उनकी पप्पी में मम्मा, पापा सा प्यार नहीं है । पापा के वो दोस्त हैं, लेकिन लगते मुझे दरिंदे हैं। मम्मा वो अंकल गंदे हैं । akanksha gupta

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