हर तरफ़ चहचहाहट थी कभी पंछियों की, दरख्तों के पत्तो | हिंदी कविता Video

"हर तरफ़ चहचहाहट थी कभी पंछियों की, दरख्तों के पत्तों में रहते थे वो। एक सुंदर सी आवाज़ पपीहा लगाता था, कोयल की कुह-कुह से बगिया महकती। कहीं पंख फैलाये नाचे मयूरा था, किसी डाल पर बैठी बुलबुल चहकती। वो कतारों में उड़ती थी सुंदर तितलियां, कभी फूल की डाली पर जा बैठतीं। कुदरत का सुंदर नज़ारा जमीं पर, मगर अब न जाने कहाँ खो गया है। ©Tinku Nigam "

हर तरफ़ चहचहाहट थी कभी पंछियों की, दरख्तों के पत्तों में रहते थे वो। एक सुंदर सी आवाज़ पपीहा लगाता था, कोयल की कुह-कुह से बगिया महकती। कहीं पंख फैलाये नाचे मयूरा था, किसी डाल पर बैठी बुलबुल चहकती। वो कतारों में उड़ती थी सुंदर तितलियां, कभी फूल की डाली पर जा बैठतीं। कुदरत का सुंदर नज़ारा जमीं पर, मगर अब न जाने कहाँ खो गया है। ©Tinku Nigam

#NatureLove, #tinku_nigam

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