ज्यादतर प्रेम मे कम मचलता है पुरुष मगर स्त्री के उ | हिंदी कविता

"ज्यादतर प्रेम मे कम मचलता है पुरुष मगर स्त्री के उभारों पर फिसलता है पुरुष l मेरा कहना महज सत्य है झुठला नहीं सकता अपनी जाति को इस दोष से बचा नहीं सकता l ©FAUJI MUNDAY SOHANLAL MUNDAY"

 ज्यादतर प्रेम मे कम मचलता है पुरुष
मगर स्त्री के उभारों पर फिसलता है पुरुष l
मेरा कहना महज सत्य है झुठला नहीं सकता 
अपनी जाति को इस दोष से बचा नहीं सकता l

©FAUJI MUNDAY SOHANLAL MUNDAY

ज्यादतर प्रेम मे कम मचलता है पुरुष मगर स्त्री के उभारों पर फिसलता है पुरुष l मेरा कहना महज सत्य है झुठला नहीं सकता अपनी जाति को इस दोष से बचा नहीं सकता l ©FAUJI MUNDAY SOHANLAL MUNDAY

ज्यादतर प्रेम मे कम मचलता है पुरुष
मगर स्त्री के उभारों पर फिसलता है पुरुष l
मेरा कहना महज सत्य है झुठला नहीं सकता
अपनी जाति को इस दोष से बचा नहीं सकता l

#faujimunday #kavita #fauji_munday_KI_kalam_se

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