वे लोग जो उँची आवाज़ में बोलते है... आखिर क | हिंदी Video

"वे लोग जो उँची आवाज़ में बोलते है... आखिर कब इतने अनसुने रहे होंगे... वो लोग जो बात-बात पर गुस्सा करते हैं... आखिर कौन सी ग़म दबी रह गई होगी... वो लोग जो अब किसी पर भरोसा नहीं करते... आख़िर कैसे और कब इतने टूट गए होंगे... वो लोग जो अपनी बात अब किसी से नहीं कहते हैं... आख़िर किसे समझा पाने में असमर्थ रहे होंगें... वे लोग जो बहुत ही चिड़चिड़े से रहते है... आखिर कब प्यार की कमी महसूस हुई होगी... वे लोग जो उदासी और अकेलेपन से घिरे रहते है... आखिर किसके साथ से कभी जिंदगी रोशन हुई होगी... ना जाने कितनी कहानियाँ कितने किस्से... एक ही इंसान के है कितने सारे हिस्से... किसी की रातें रोशन है तो...किसी के दिन में भी अँधेरा... किसी के अपने साथ नहीं तो...कोई अपनों में भी अकेले... सिसकियाँ लेता होगा वो भी...बैठकर किसी कोने में... मसहूर होता है वो ज़माने में...पत्थर दिली होने में... सबके पास अपने भ्रम है...और है अपना ज्ञान... तुम किसी में हो अगर तो...वो किसी और में है महान... इसी कसमकस में अभी जिंदगी है.... न मंजिल का पता है न सफ़र का... न तय है कुछ भी न तय हो पा रहा है... चले जा रहे हैं .. एक अंजान सफ़र पर...एक गुमनाम रास्ते पर... कोशिश है एक दिन चमकुंगा जरूर... उम्मीद है कि एक दिन मेरा भी नाम होगा जरूर ! ©Pradip Jha "

वे लोग जो उँची आवाज़ में बोलते है... आखिर कब इतने अनसुने रहे होंगे... वो लोग जो बात-बात पर गुस्सा करते हैं... आखिर कौन सी ग़म दबी रह गई होगी... वो लोग जो अब किसी पर भरोसा नहीं करते... आख़िर कैसे और कब इतने टूट गए होंगे... वो लोग जो अपनी बात अब किसी से नहीं कहते हैं... आख़िर किसे समझा पाने में असमर्थ रहे होंगें... वे लोग जो बहुत ही चिड़चिड़े से रहते है... आखिर कब प्यार की कमी महसूस हुई होगी... वे लोग जो उदासी और अकेलेपन से घिरे रहते है... आखिर किसके साथ से कभी जिंदगी रोशन हुई होगी... ना जाने कितनी कहानियाँ कितने किस्से... एक ही इंसान के है कितने सारे हिस्से... किसी की रातें रोशन है तो...किसी के दिन में भी अँधेरा... किसी के अपने साथ नहीं तो...कोई अपनों में भी अकेले... सिसकियाँ लेता होगा वो भी...बैठकर किसी कोने में... मसहूर होता है वो ज़माने में...पत्थर दिली होने में... सबके पास अपने भ्रम है...और है अपना ज्ञान... तुम किसी में हो अगर तो...वो किसी और में है महान... इसी कसमकस में अभी जिंदगी है.... न मंजिल का पता है न सफ़र का... न तय है कुछ भी न तय हो पा रहा है... चले जा रहे हैं .. एक अंजान सफ़र पर...एक गुमनाम रास्ते पर... कोशिश है एक दिन चमकुंगा जरूर... उम्मीद है कि एक दिन मेरा भी नाम होगा जरूर ! ©Pradip Jha

#citylights #Zindagi

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