ख़्वाब और ख्याल"
जब भी किसी के ख़्वाब दिल में आते
हैं तो ,खुशियों के चार चांद लग जाते हैं।
कभी धुंधली, कभी उजली सी,दिल में
नसीब ए यार की ,तस्वीर बन जाते हैं।
करके बेचैन निगाहों को उसी दिन से,
मंज़िल ए यार का ,रस्ता भी बता जाते हैं।
फिर वही तस्वीर निकाल के ख्वाबों से,
आहिस्ता आहिस्ता ख्यालों में समा जाते हैं।
©Anuj Ray
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