"बदनामी का तो बस सवेरा काफी है..
तेरे शहर में अंधेरा खाफी है...
और सुनता नहीं कोई चिखे यहां पर...
तेरे शहर का सकश बेहरा काफी है...
और ये आंसू लाशे और खुन्नी दुपट्टे..
खुद खुशी के लिए तो बस इतना कहना काफी है...
और डूबती है सिर्फ लड़कियां यहां पर..
ये जिस्मानी समुन्दर गेहरा काफी है
©LaBaZ"