आदमी अपना दुख तो किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है, लेक

"आदमी अपना दुख तो किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन उससे दूसरों का सुख बर्दाश्त नही होता।"

 आदमी अपना दुख तो किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है,
लेकिन उससे दूसरों का सुख बर्दाश्त नही होता।

आदमी अपना दुख तो किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन उससे दूसरों का सुख बर्दाश्त नही होता।

#Sapne_ka_ghar

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