White विरक्त हुं इन समाज से
विरक्त हुं इनके ख्याल से
ना लोभ है ज्यादा मुझे
ना चाह है किसी वस्तु कि
विरक्त हुं आर्थिक विज्ञान से
बस इतना देना भगवन..!
मै भी भूखा ना रहुं,ना मेरे परिवार जन, ना हि कोई अतिथि
जो द्वार पर आये खाली हाथ न लौते
अकाउंट ,जेब हमेशा भरी रहे मेरी..
जन जन तक ये पहुंचाना है
रोटी,कपड़ा,मकान दिलाना है
ये हि मेरा आत्म विज्ञान है..
बाकि विरक्त हुं संन्सार से..!
बस हवाई यात्रा रहे,देश विदेश की यात्रा करूं
ना हि बेहतर गाड़ी कि अपेक्षा है,
ना हि बड़ा घर अपने लिये,
एक दोस्त चाहिये जो अपना रहे,
कभी भी धोका ना दे,मुझे समझे
बाकि विरक्त हूं रिस्तेदारी से..!!
©HARSH369
#विरक्त हूं...मै
#कविता