जीने के लिए मर रहे है रोज मालूम नही कब मिल पाएगी

"जीने के लिए मर रहे है रोज मालूम नही कब मिल पाएगी मौत तेरी दुवाओं का असर बहुत है माही वरना कब की मिल जाती एक रोज। माही की कलम से... (MAHESH) ©kumar mahesh"

 जीने के लिए मर रहे है रोज

मालूम नही कब मिल पाएगी मौत

तेरी दुवाओं का असर बहुत है माही

वरना कब की  मिल जाती एक रोज।

माही की कलम से...
(MAHESH)

©kumar mahesh

जीने के लिए मर रहे है रोज मालूम नही कब मिल पाएगी मौत तेरी दुवाओं का असर बहुत है माही वरना कब की मिल जाती एक रोज। माही की कलम से... (MAHESH) ©kumar mahesh

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