शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज | हिंदी Poetry Vide

" शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं। समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही। ©Bharat Bhushan pathak "

शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं। समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही। ©Bharat Bhushan pathak

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शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो।
है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो।
प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो।
अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं।
समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही।

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