"हर रोज़ गहराता इश्क़ मेरा तुम्हारे लिये
मेरे चाय से भी मीठे हो तुम
उबालते चाय जैसा प्यार मेरा
और मेरे प्यार से भी प्यारे हो तुम
वक़्त जैसे चाय का वैसे याद आते हो
हिठों से लगाते ही प्याला चाय का
महसूस होता है जैसे मेरे हिठों से
लिपटे हो तुम
©NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )"