"White चाँद की चाँदनी फीकी पड जाए, चमक फीकी पड जाए सितारों की
मेरे महबूब के आगे ओकात ही क्या है इन हवाओ इन घटाओं और बहारो की
संगे मरमर की मूर्त हो वो, खुदा ने फुर्सत से तराशा है उसे
जब वो निकलती है घर से बाहर तो धड़कने रुक सी जाती हैं हज़ारों की
©Rohan Rajasthani"