रहा था राब्ता दोनों में लगभग कुछ, यही दो | हिंदी शायरी

"रहा था राब्ता दोनों में लगभग कुछ, यही दो साल ग्यारह माह औ'र दिन दस, दिया फिर आख़िरी तोहफ़ा मुहब्बत ने, किसी ने फोन काटा था किसी ने नस!! संघर्ष ©Sangharssh"

 रहा   था   राब्ता  दोनों   में  लगभग  कुछ,
यही दो साल ग्यारह  माह औ'र दिन  दस,

दिया  फिर  आख़िरी  तोहफ़ा  मुहब्बत ने,
किसी  ने  फोन  काटा था  किसी ने नस!!
                                                संघर्ष

©Sangharssh

रहा था राब्ता दोनों में लगभग कुछ, यही दो साल ग्यारह माह औ'र दिन दस, दिया फिर आख़िरी तोहफ़ा मुहब्बत ने, किसी ने फोन काटा था किसी ने नस!! संघर्ष ©Sangharssh

#हिज्र

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