मंजिल तो यही थी मेरी बस उम्र गुजार दी औरों को बदलन | हिंदी Life

"मंजिल तो यही थी मेरी बस उम्र गुजार दी औरों को बदलने में.... काश मैंने खुद को बदल लिया होता आज तेरे करीब होता! ©Mahadev Son"

 मंजिल तो यही थी मेरी
बस उम्र गुजार दी
औरों को बदलने में....

काश मैंने खुद को
बदल लिया होता
आज तेरे करीब होता!

©Mahadev Son

मंजिल तो यही थी मेरी बस उम्र गुजार दी औरों को बदलने में.... काश मैंने खुद को बदल लिया होता आज तेरे करीब होता! ©Mahadev Son

मंजिल तो यही थी मेरी
बस उम्र गुजार दी
औरों को बदलने में....

काश मैंने खुद को
बदल लिया होता
आज तेरे करीब होता!

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