टूटना टूटना भी कितना सुंदर देखो तो सही टूट कर..! | हिंदी Video

"टूटना टूटना भी कितना सुंदर देखो तो सही टूट कर..! बादल से टूट बूंदे-बारिश रोती-मुस्कुराती धरती पर इठलाती, कहीं सीप-मोती बन तो वहीं समुद्र से हो एकाकार मिल बादलों से, पाती नव जीवन..! पेड़ों से टूटते पत्ते, ले नव वर्ण पीले हो कर भी कहीं बिखर चरमराते हुए, करते नाज़ किस्मत पर सरसराते-मरमराते-खड़खड़ाते जब मिट्टी में मिल,वृक्षों से ही वे जाते लिपट ..! समुद्र की लहरें टूट टूट कर सिखाती ..हो ऐसी चाहत चाहो किसी को ऐसा टूट कर जुड़ जाना टूट.. टूट कर टूटना, फ़िर जुड़ना,जुड़- जुड़ कर हो टूटना,जुड़ना, हो ऐसी चाह, टूट कर..! रात में करते तारे टिम टिम होते झिलमिल-झिलमिल पूरी करने औरों क़ी चाहत तय करते अनवरत सफर आसमां से टूट कर धरती तक..! टूटना भी कितना सुंदर देखो तो सही टूट कर..! माना जिंदगी का रुख कठोर पर इसकी परेशानियों से क्यों खौफ..! टूटे- ख्वाब टूटे-अरमान.. टूटा-दिल नैनों से टूटते अश्क कर देते तन- मन-निश्छल-निर्मल..! होती खुद से खुद की ही पहचान..! शून्य में जुड़ते कुछ नव अंक..! निखरना है तो टूट-टूट कर बिखर.. टूट कर खुद क़ी नई पहचान कर शिदत से सींच, दिले बीज जमीन पर, खिलें .. अनगिनत नव अंकुर फ़िर..! खिलें .. अनगिनत नव अंकुर फ़िर..!"

टूटना टूटना भी कितना सुंदर देखो तो सही टूट कर..! बादल से टूट बूंदे-बारिश रोती-मुस्कुराती धरती पर इठलाती, कहीं सीप-मोती बन तो वहीं समुद्र से हो एकाकार मिल बादलों से, पाती नव जीवन..! पेड़ों से टूटते पत्ते, ले नव वर्ण पीले हो कर भी कहीं बिखर चरमराते हुए, करते नाज़ किस्मत पर सरसराते-मरमराते-खड़खड़ाते जब मिट्टी में मिल,वृक्षों से ही वे जाते लिपट ..! समुद्र की लहरें टूट टूट कर सिखाती ..हो ऐसी चाहत चाहो किसी को ऐसा टूट कर जुड़ जाना टूट.. टूट कर टूटना, फ़िर जुड़ना,जुड़- जुड़ कर हो टूटना,जुड़ना, हो ऐसी चाह, टूट कर..! रात में करते तारे टिम टिम होते झिलमिल-झिलमिल पूरी करने औरों क़ी चाहत तय करते अनवरत सफर आसमां से टूट कर धरती तक..! टूटना भी कितना सुंदर देखो तो सही टूट कर..! माना जिंदगी का रुख कठोर पर इसकी परेशानियों से क्यों खौफ..! टूटे- ख्वाब टूटे-अरमान.. टूटा-दिल नैनों से टूटते अश्क कर देते तन- मन-निश्छल-निर्मल..! होती खुद से खुद की ही पहचान..! शून्य में जुड़ते कुछ नव अंक..! निखरना है तो टूट-टूट कर बिखर.. टूट कर खुद क़ी नई पहचान कर शिदत से सींच, दिले बीज जमीन पर, खिलें .. अनगिनत नव अंकुर फ़िर..! खिलें .. अनगिनत नव अंकुर फ़िर..!

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