कैसी हैं ये मौसम की बेरुखी सूखी हो कर भी अंखियों | हिंदी शायरी

"कैसी हैं ये मौसम की बेरुखी सूखी हो कर भी अंखियों में लगती नमी कहने को तो वसंत हैं पर मन में फिर भी पतझड़ सी दिल्लगी ©Shivani Gautam"

 कैसी हैं ये मौसम की बेरुखी 
सूखी हो कर भी अंखियों में लगती नमी
कहने को तो वसंत हैं 
पर मन में फिर भी पतझड़ सी दिल्लगी

©Shivani Gautam

कैसी हैं ये मौसम की बेरुखी सूखी हो कर भी अंखियों में लगती नमी कहने को तो वसंत हैं पर मन में फिर भी पतझड़ सी दिल्लगी ©Shivani Gautam

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